Class 10th
Ch- विद्युत धारा
1. विद्युत धारा किसे कहते हैं ?
Ans ⇒विद्युत धारा का तात्पर्य बिजली से है। हमारे दैनिक जीवन में बिजली का महत्वपूर्ण स्थान है।
वैद्युतिक आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे वैद्युतिक धारा कहते हैं।
विद्युत धारा का तात्पर्य आवेशों के व्यवस्थित प्रवाह से है।
मात्रात्मक रूप से, आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। इसका SI मात्रक एम्पीयर है। एक कूलॉम प्रति सेकण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे।
एक एम्पीयर का अर्थ है एक कूलॉम धारा प्रति सैकण्ड का विस्थापन।
Ex – T.V, Computer, Fan etc.
2. विद्युत चालक पदार्थ क्या है ?
Ans ⇒ वैसा पदार्थ जिससे होकर विद्युत धारा प्रवाहित होती है। उसे विद्युत चालक पदार्थ कहते हैं।
3. विद्युत रोधी पदार्थ किसे कहते हैं ?
Ans ⇒ ऐसा पदार्थ जिससे होकर विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है। उसे विद्युत रोधी पदार्थ कहते हैं। जैसे – लकड़ी, रब्बर, प्लास्टिक, चमड़ा इत्यादि
4. विद्युत विभव क्या है ?
Ans ⇒ इकाई आवेशों को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किया गया कार्य को विद्युत विभव कहते हैं।
Note –
(i) आवेश का S.I मात्रक कुलम्ब ( C ) होता है।
(ii) विद्युत विभव का S.I मात्रक जूल/कुलम्ब होता है। यानी कि बोल्ट, इसे ‘V’ से सूचित किया जाता है।
(iii) विद्युत धारा का एस आई मात्रक एंपियर होता है। इसे ‘A’ से सूचित किया जाता है।
5. बोल्ट क्या है ?
Ans ⇒ यदि एक कूलाम आवेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में एक जुल का कार्य करना पड़ता हो तो उस बिंदु पर विद्युत विभव एक वोल्ट कहा जाता है।
6. विभवांतर किसे कहते हैं ?
Ans ⇒ इकाई आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किया गया कार्य को विभवांतर कहते हैं।
इसका S.I मात्रक बोल्ट होता है।
7. सेल क्या है ?
Ans ⇒ सेल एक ऐसी युक्ति है। जो अपने अंदर हो रहे रसायनिक अभिक्रियाओं द्वारा सेल के दोनों इलेक्ट्रॉनों के बीच विभवांतर बनाए रखती है।
Note – सेल की खोज 1796 ईस्वी में आलेसांद्रो वोल्टा ने किया था। सेल में दो ध्रुव होता है।
धनध्रुव तथा ऋण ध्रुव
8. बैटरी क्या है ?
Ans ⇒ सेलो के व्यवस्थित समूह को बैटरी कहा जाता है। इसे व्यवस्थित करने के लिए एक सेल के धनध्रुव को दूसरे सेल के ऋणध्रुव से जोड़ते हैं। और प्रक्रिया लगातार दोहराते हुए बैटरी का निर्माण करते हैं।
9. विद्युत परिपथ क्या है, या किसे कहते हैं ?
Ans ⇒ जिस पथ से होकर विद्युत धारा प्रवाहित होती है। उसे विद्युत परिपथ कहते हैं।
10. आमीटर किसे कहते हैं ?
Ans ⇒ आमीटर एक ऐसा यंत्र है। जिसके द्वारा विद्युत परिपथ में प्रवाहित हो रहे विद्युत धारा की माप करता है।
इसे हमेशा श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है। इससे इस प्रकार से जोड़ते हैं। कि इसके धनध्रुव से विद्युत धारा प्रवेश करें तथा ऋणध्रुव से बाहर निकले।
11. वोल्टमीटर क्या है ?
Ans ⇒ वोल्टमीटर एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा विद्युत परिपथ में दो बिंदुओं के बीच विभवांतर को मापता है। इसे हमेशा समांतर क्रम में जोड़ते हैं। इसे परिपथ में इस प्रकार से जोड़ते हैं, कि धनध्रुव से विद्युत धारा प्रवेश करें तथा ऋणध्रुव से बाहर निकले।
12. ओम के नियम किसने और कब दिया ?
Ans ⇒ ओम के नियम जर्मनी के वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम ने सन 1826 ईस्वी में विभवांतर एवं विद्युत धारा से संबंधित एक नियम दिया जिसे ओम का नियम कहा जाता है।
13. ओम के नियम क्या है ?
Ans ⇒ यदि किसी चालक तार में ताप को नियत रखा जाए तब तार से प्रवाहित हो रहे विद्युत धारा एवं उनके सिरो के बीच उत्पन्न विभवांतर एक दूसरे के समानुपाती होता है।
14. ओम के नियम को सत्यापन करें।
Ans ⇒ दिए गए चित्र के अनुसार बैटरी, चालक तार, स्विच,एमीटर तथा वोल्टमीटर को सजाते हैं।
सत्यापन ⇒ जैसे ही स्विच के माध्यम से परिपथ बंद करते हैं। विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है। एमीटर तथा वोल्ट मीटर का पठन को नोट करते हैं। इसके बाद एक जगह दो सेल जोड़ते हैं। और पठन को नोट करते हैं इसी प्रकार से लोगों की संख्या 3,4,5 क्रमशः जोड़ते जाते हैं। और पठन नोट करते हैं। हम पाते हैं कि V/R का अनुपात हमेशा बराबर होता है।
जब इन दोनों का ग्राफ खींचते हैं “V” को X अक्ष पर तथा I को Y पर लेकर ग्राफ खींचने पर एक सरल रेखा प्राप्त होता है। जिससे साबित होता है। कि ओम का नियम सत्य है।
15. प्रतिरोध (Resistance) क्या है ?
Ans ⇒ किसी पदार्थ का वह गुण जो उस से होकर प्रवाहित हो रहे विद्युत धारा का विरोध करता है। उसे प्रतिरोध कहते हैं। प्रतिरोध को R से सूचित किया जाता है।
प्रतिरोध का S.I मात्रक ओम होता है।
प्रतिरोध (Resistance) = विभवांतर/ विद्युत धारा
अर्थात R= V/R जहाँ, R = प्रतिरोध , V = विभवान्तर , I = विधुतधारा
16. प्रतिरोध किन – किन बातों पर निर्भर करती है ?
Ans ⇒ प्रतिरोध निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है।
(i ) तार के लंबाई पर – किसी तार का प्रतिरोध तार की लंबाई के समानुपाती होता है।
(ii) तार के मोटाई पर – किसी तार के प्रतिरोध अनुप्रस्थ कट का क्षेत्रफल का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
(iii) तार के ताप पर – ताप बढ़ने से चालक का प्रतिरोध बढ़ता है।
(iv) समान लंबाई एवं मोटाई वाले तार यदि अलग-अलग पदार्थों के बने हैं। तब तार के प्रतिरोध अलग अलग होंगे।
Note:- प्रतिरोधों के समुहंन – समुहंन को दो विधियों से जोड़ा जाता है।
(i ) श्रेणी क्रम समुहंन ⇒ दिए गए चित्र के अनुसार तीन प्रतिरोधों AB, BC, CD, को श्रेणी क्रम में जोड़ा गया है जिनके प्रतिरोध क्रमशः R1, R2 एवं R3 हैं एवं विभवांतर V1, V2, V3 हैं। चालक को बैटरी के सिरे से जोड़ा गया है परिपथ बंद करने पर विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
तब ओम के नियम से ।
V = IR
तथा , V1= IR1, V2= IR2, V3=IR3
यदि A और D के बीच विभवान्तर हो तो,
V = V1+V2+V3
या V = IR1+IR2+IR3
V = I ( R1+R2+R3 ) ——-
(i) यदि तीनों प्रतिरोधों का समतुल्य प्रतिरोध Rs हो तब ओम के नियम से,
V = IR
इसलिए , V = IRs——-
(ii) समीकरण (i) एवं समीकरण (ii) से
IRs = I ( R1+R2+R3 )
Rs = ( R1+R2+R3 )
अर्थात , श्रेणी क्रम में जोड़े गए प्रतिरोध को संतुलित प्रतिरोध अलग-अलग प्रतिरोधों के योगफल के बराबर होता है।
17. विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव को लिखे।
Ans ⇒ विद्युत ऊर्जा का उस्मा में परिवर्तित होना ही विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव कहलाता है। किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा द्वारा उत्सर्जित उष्मा का परिमाण उसके द्वारा चालक के प्रतिरोध के विरुद्ध किए गए कुल कार्य के बराबर होता है।
18. जूल के उष्मीय नियम को लिखें ।
Ans ⇒ उपर्युक्त समीकरण से ब्रिटिश वैज्ञानिक जुल ने सन 1841 ईस्वी में ऊर्जा से संबंधित तीन नियम भी है जिसे जूल का उष्मीय नियम कहते हैं।
(i) यदि किसी चालक में प्रतिरोध एवं समय को नियत रखा जाए तब उसमें उत्पन्न हुई ऊष्मा का परिमाण विद्युत धारा के वर्ग के समानुपाती होता है।
(ii) यदि किसी चालक के समय एवं प्रवाहित हो रहे विद्युत धारा को नियत रखा जाए , तब उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण प्रतिरोध के समानुपाती होगा।
(iii) यदि किसी चालक के प्रतिरोध एवं प्रवाहित विद्युत धारा को नियत रखा जाए तब उत्पन्न ऊष्मा समय के समानुपाती होगा।
19. प्रतिरोध क्या है ? इसका मान एवं मात्रक लिखें।
Ans. किसी धारावाही तार में आवेश के प्रवाह में जो रुकावट आती है उसे प्रतिरोध कहते हैं। इसका मात्रक ओम होता है।
20. सिद्ध करें 1 Kwh = 3.6 x 106 जूल अथवा, एक किलोवाट-घंटा कितने जूल के बराबर होता है?
Ans. 1 किलोवाट घंटा = 1 x 1000 वाट x 3600 सेकेण्ड
= 3.6 x 106 जूल
1 Kwh = 3.6 x 106 जूल अथवा, 3.6 x 106 जूल (J) के बराबर
21. विद्युत विभव से आप क्या समझते हैं?
Ans. किसी चालक की वह अवस्था जो यह बताए कि इसे किसी दूसरे चालक के साथ सम्पर्क में लाने पर विद्युत आवेश का प्रवाह किस दिशा में होगा, विभव कहलाता है।
22. प्रतिरोधों का समूहीकरण क्या है? विद्युत परिपथ के साथ वर्णन करें
Ans. प्रतिरोधों का संयोजन :- दो या दो से अधिक प्रतिरोधों को जोड़ना ही संयोजन कहा जाता है। यह दो प्रकार का होता है
23. श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर विद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम (या समानांतर) में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
Ans. पार्श्वक्रम में संयोजित करने के लाभ इस प्रकार हैं-
(1) प्रतिरोधों को पार्श्वक्रम में जोड़ने से किसी भी चालक में स्विच की सहायता से विद्युतधारा स्वतंत्रतापूर्वक भेजी अथवा रोकी जा सकती है।
(ii) ऐसा करने से सभी समांतर शाखाओं के सिरों के बीच का विभवांतर बराबर होता है। इसलिए लैंप, बिजली की प्रेस, रेफ्रीजरेटर, रेडियो आदि को एक ही विभव पर प्रचलन योग्य बनाया जा सकता है।
Ans. जब प्रतिरोधों को एक साथ जोड़कर परिपथ तैयार किया जाता है, प्रतिरोधों का समूहीकरण कहलाता है।
24.विद्युत विभव और विभवांतर में क्या अंतर हैं?
i) किसी इकाई आवेश को अननत से विद्युत् क्षेत्र के अंदर किसी बिंदु पर लेकर रखने में विद्युत् क्षेत्र के विपरीत किया जाने वाला कार्य विद्युत विभव कहलाता है जबकि विद्युत् क्षेत्र के अंदर किसी इकाई आवेश को एक बिंदु से दुसरी बिंदु पर ले जाने में किया जाने वाला कार्य विभवांतर कहलाता है।
ii) विद्युत विभव अनंत और विद्युत क्षेत्र के बीच का कार्य होता है जबकि विभवांतर विद्युत क्षेत्र के अंदर ही दो बिंदुओं के बीच का कार्य होता है।
iii)विद्युत विभव किसी आवेश विशेष पर कार्य होता है जबकि विभवांतर दो विभवों का अंतर होता है।
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