विद्युत फ्यूज (Electric Fuse)
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विद्युत फ्यूज (Electric Fuse)-कभी-कभी घरों अथवा कारखानों में बिजली की डोरी के दोनों तार आपस में छू जाते हैं तो परिपथ शॉर्ट सर्किट हो जाता है, जिससे परिपथ का प्रतिरोध बहुत कम हो जाने से धारा का मान बढ़ जाता है और इससे इतनी ऊष्मा उत्पन्न होती है कि विद्युत उपकरणों के जल जाने का भय हो जाता है तथा परिपथ के तारों में आग भी लग सकती है। इस प्रकार के खतरों से बचने के लिए विभिन्न परिपथों की वायरिंग में फ्यूज तार लगाए जाते हैं।
संरचना-सामान्यतः विद्युत फ्यूज तार ताँबा, टिन और सीसे के मिश्रण से बना हुआ एक छोटा-सा तार होता है जोकि चीनी-मिट्टी के होल्डर पर लगे दो धात्विक टर्मिनलों के बीच खिंचा रहता है। इसका गलनांक ताँबे की तुलना में बहुत कम होता है। जिस परिपथ की सुरक्षा करनी होती है, उसके एक अथवा दोनों संयोजक तारों में श्रेणीक्रम में फ्यूज तार जोड़ देते हैं। मोटाई के अनुसार फ्यूज तार की एक निश्चित क्षमता होती है, जिससे अधिक धारा प्रवाहित होने पर फ्यूज तार गर्म होकर पिघल जाता है। तार के पिघल जाने से विद्युत परिपथ टूट जाता है और धारा बन्द हो जाती है।
धारा के बन्द हो जाने से उपकरण अथवा परिपथ की खराबी का पता चल जाता है। इसे दूर करके तथा नया फ्यूज तार लगाने के बाद परिपथ में धारा को पुनः चालू कर लिया जाता है। किसी बल्ब में बैटरी से धारा प्रवाहित करने पर, बल्ब की सुरक्षा के लिए फ्यूज तार के संयोजन का परिपथ-आरेख चित्र में दिखाया गया है।

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