8वीं इतिहास अध्याय 8 देशी जनता को सभ्यता बनाना और राष्ट्र को शिक्षित करना

 8वीं इतिहास 

अध्याय 8:-  देशी जनता को सभ्यता बनाना और राष्ट्र को शिक्षित करना नोट्स

 → अंग्रेज मानते थे कि उन्हें देशी समाज को सभ्य बनाना है और उनके रीति-रिवाजों तथा मूल्य-मान्यताओं को बदलना है।

→ कम्पनी के अनेक अंग्रेज अधिकारियों का विचार था कि अंग्रेजों को भारत में पश्चिमी ज्ञान की बजाय भारतीय ज्ञान को ही प्रोत्साहन देना चाहिए।

1781 में अरबी, फारसी, इस्लामिक कानून के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए कलकत्ता में एक मदरसा तथा 1791 में प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों की शिक्षा देने के उद्देश्य से बनारस में हिन्दू कॉलेज की स्थापना की गई।

→ कम्पनी के अनेक अफसर प्राच्यवादियों के कटु आलोचक थे। इनमें जेम्स मिल तथा मैकॉले मुख्य थे।

1854 के वुड्स डिस्पैच में भारत में प्राच्यवादी ज्ञान के स्थान पर यूरोपीय शिक्षा अपनाने के लाभ बताये गये।

→ स्कॉटलैण्ड के ईसाई प्रचारक विलियम एडम ने देशी स्कूलों की शिक्षा की प्रगति की रिपोर्ट में बतलाया कि शिक्षा देने का इनका तरीका स्थानीय आवश्यकताओं के काफी अनुकूल है।

1854 के बाद कम्पनी ने देशी शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए नई दिनचर्या तथा नये नियम बनाए।

→ पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित कुछ भारतीय मानते थे कि पश्चिमी शिक्षा भारत का आधुनिकीकरण कर सकती है। महात्मा गाँधी का कहना था कि औपनिवेशिक शिक्षा ने भारतीयों के मस्तिष्क में हीनता का बोध पैदा कर दिया है।

→ रवीन्द्रनाथ टैगोर शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक पश्चिमी सभ्यता तथा भारतीय परम्परा के श्रेष्ठ तत्त्वों का सम्मिश्रण चाहते थे।


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